उत्तराखंड। यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल फूलों की घाटी ने 1 जून को पर्यटकों के लिए अपने द्वार खोल दिए। पहले दिन प्रकृति की अनुपम छटा का दीदार करने 49 पर्यटक पहुंचे, जिनमें 45 ने ऑफलाइन और 4 ने ऑनलाइन पंजीकरण करवाया।
यह खूबसूरत घाटी, जो 87.5 वर्ग किलोमीटर में फैली है, हर साल जून से अक्टूबर तक अपने रंग-बिरंगे फूलों और प्राकृतिक सौंदर्य से पर्यटकों को मोहित करती है।
चमोली जिले के नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क में स्थित इस घाटी में पहले दिन 45 पर्यटकों ने घांघरिया में ऑफलाइन पंजीकरण करवाया, जबकि 4 पर्यटकों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा का लाभ उठाया। घाटी तक पहुंचने के लिए गोविंदघाट से 11 किलोमीटर की ट्रेकिंग और घांघरिया से 3 किलोमीटर का पैदल रास्ता तय करना होता है। वन विभाग ने रास्तों की मरम्मत और हिमखंडों को हटाकर पर्यटकों के लिए मार्ग सुगम कर दिया है।
फूलों की घाटी की खासियत
यह घाटी 500 से अधिक प्रजातियों के फूलों का घर है, जिनमें ब्रह्म कमल, ब्लू पोपी और जेरेनियम जैसे दुर्लभ फूल शामिल हैं। हर 15 दिन में बदलते फूलों के रंग इस घाटी को प्रकृति का जीवंत कैनवास बनाते हैं। 1982 में राष्ट्रीय उद्यान और 2005 में यूनेस्को विश्व धरोहर घोषित इस स्थल पर पक्षियों और तितलियों की विविधता भी पर्यटकों को आकर्षित करती है।