उत्तराखंड: पंचायतें फिर प्रशासकों के हवाले, सरकार लाएगी अध्यादेश, 15 दिन में फैसला

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देहरादून।: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायतों (ग्राम, क्षेत्र, और जिला) का संचालन एक बार फिर प्रशासकों के हाथों में जाने वाला है। निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों का प्रशासक के रूप में छह महीने का कार्यकाल 27 मई से 1 जून के बीच खत्म हो रहा है। अगले 15 दिनों में चुनाव कराना संभव नहीं होने के कारण सरकार अगले छह महीने या चुनाव होने तक के लिए प्रशासकों की नियुक्ति के लिए अध्यादेश लाने जा रही है।

पंचायतों की स्थिति

प्रदेश में हरिद्वार जिले को छोड़कर कुल 343 जिला पंचायतें, 2,936 क्षेत्र पंचायतें, और 7,505 ग्राम पंचायतें हैं। इनका पांच साल का कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है, लेकिन समय पर चुनाव नहीं हो सके। इसके चलते सरकार ने निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को छह महीने या चुनाव होने तक के लिए प्रशासक नियुक्त किया था।

अब इनका कार्यकाल निम्नलिखित तिथियों पर खत्म हो रहा है:

27 मई: ग्राम पंचायत प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त।

29 मई: क्षेत्र पंचायत प्रमुखों का कार्यकाल समाप्त।

1 जून: जिला पंचायत प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त।

क्यों जरूरी है अध्यादेश?

पंचायती राज अधिनियम 2016 के अनुसार, यदि पंचायतों का कार्यकाल खत्म होने के बाद चुनाव नहीं हो पाते, तो सरकार छह महीने के लिए प्रशासक नियुक्त कर सकती है। अगले 15 दिनों में चुनाव संभव नहीं हैं, सरकार अध्यादेश के जरिए प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाने या नए प्रशासक नियुक्त करने की तैयारी कर रही है।

कौन होंगे नए प्रशासक?

वर्तमान में निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधि प्रशासक की भूमिका निभा रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, ये प्रतिनिधि न तो निर्वाचित हैं और न ही चयनित, बल्कि नामित हैं। ऐसे में इनका कार्यकाल बढ़ाना कानूनी रूप से संभव नहीं है। सरकार के पास दो विकल्प हैं:वर्तमान प्रतिनिधियों को दोबारा प्रशासक नियुक्त करना: सरकार इन्हें फिर से नामित कर सकती है।नए प्रशासक नियुक्त करना: सरकार अन्य व्यक्तियों या अधिकारियों को प्रशासक बना सकती है।

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