अवैध खनन पर त्रिवेंद्र का तीखा हमला: धामी सरकार पर अपने ही सांसद ने उठाए सवाल, टास्क फोर्स की मांग

खबर शेयर करें

हरिद्वार से लोकसभा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी ही पार्टी की सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। लोकसभा में अवैध खनन का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने उत्तराखंड की धामी सरकार पर निशाना साधा। त्रिवेंद्र ने कहा कि हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और उधम सिंह नगर जिलों में रात के समय खनन माफिया बेखौफ होकर अवैध खनन कर रहे हैं, जो पर्यावरण और कानून व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बन गया है।

खनन माफिया की मनमानी:

सड़क हादसों का कारण बनी ओवरलोडिंग”सदन में त्रिवेंद्र ने साफ शब्दों में कहा कि सरकार के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद खनन माफिया अवैध गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। ओवरलोडेड ट्रकों का रात में संचालन न केवल सड़क दुर्घटनाओं को बढ़ा रहा है, बल्कि कई निर्दोष लोगों की जान भी ले रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना वैध अनुमति के खनिजों का परिवहन हो रहा है, जिससे सड़कों, पुलों और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंच रहा है। इससे आम नागरिकों का आवागमन भी मुश्किल हो गया है।

टास्क फोर्स और चेकपोस्ट का प्रस्ताव:

प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप”त्रिवेंद्र ने केंद्र सरकार से अवैध खनन पर लगाम लगाने के लिए विशेष टास्क फोर्स गठित करने की मांग की। साथ ही, ओवरलोडिंग रोकने के लिए सभी मुख्य मार्गों पर चेकपोस्ट बनाने और दोषी ट्रक मालिकों पर कठोर कार्रवाई की वकालत की। उन्होंने स्थानीय प्रशासन पर मिलीभगत का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ये गतिविधियां प्रशासन की शह के बिना संभव नहीं हैं।

धामी सरकार की किरकिरी:

सचिव को देनी पड़ी सफाई”त्रिवेंद्र के इस हमले से धामी सरकार में हड़कंप मच गया। यह पहला मौका नहीं है जब उन्होंने खनन का मुद्दा उठाकर अपनी ही सरकार को असहज किया हो। पहले भी इस तरह के आरोपों से सरकार बैकफुट पर आ चुकी है। इस बार मामले के तूल पकड़ने पर खनन सचिव बृजेश संत को सामने आना पड़ा। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि राज्य में अवैध खनन पर पूरी तरह रोक लगाई जा चुकी है। सचिव ने दावा किया कि पारदर्शी नीति के चलते खनन से राज्य का राजस्व दोगुना हो गया है और यह अब तक का सबसे अधिक है।

अपनों से ही घिरी सरकार: क्या है त्रिवेंद्र का मकसद?”

यह घटना धामी सरकार के लिए एक बड़े राजनीतिक संकट के रूप में उभरी है। त्रिवेंद्र का अपनी ही सरकार पर हमला न केवल खनन नीति की खामियों को उजागर करता है, बल्कि पार्टी के भीतर भी अंतर्कलह की ओर इशारा करता है। क्या यह जनता की भलाई के लिए उठाया गया कदम है या फिर सियासी दांवपेच का हिस्सा, यह सवाल अब चर्चा का विषय बन गया है। फिलहाल, त्रिवेंद्र के इस बयान ने उत्तराखंड की सियासत में नया तूफान खड़ा कर दिया है।

यह भी पढ़ें 👉  मसूरी के प्रतिष्ठित स्कूल में स्विमिंग पूल में डूबकर 13 वर्षीय छात्र की मौत