सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को CAMPA फंड के दुरुपयोग पर कड़ी फटकार लगाई, एक पखवाड़े में मांगा जवाब

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दिल्ली। उत्तराखंड सरकार पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिपूरक वनीकरण निधि (CAMPA) के गलत इस्तेमाल को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार से पूछा कि वन भूमि के डायवर्जन के बदले मिले फंड को लैपटॉप, आईफोन, फ्रिज, कूलर और अदालती मामलों जैसे “अस्वीकार्य” खर्चों में क्यों लगाया गया।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने राज्य के मुख्य सचिव को 19 मार्च तक हलफनामा देकर जवाब देने का निर्देश दिया। साथ ही चेतावनी दी कि संतोषजनक जवाब न मिलने पर 20 मार्च को उनकी कोर्ट में व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य होगी।

पीठ ने कहा कि CAMPA फंड का यह दुरुपयोग पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्यों को कमजोर करता है। साथ ही, वनीकरण के नाम पर जुटाए गए धन का गैर-जिम्मेदाराना इस्तेमाल एक राष्ट्रीय चिंता का विषय है।
अब उत्तराखंड सरकार को अब कोर्ट के सामने यह साबित करना होगा कि फंड के डायवर्जन के पीछे क्या तर्क थे।कैग रिपोर्ट में बड़े खुलासे:

फंड का गैर-वनीकरण कार्यों में डायवर्जन:

– कालागढ़ टाइगर रिजर्व में टाइगर सफारी सड़क, वन विश्राम गृह के आधुनिकीकरण, वॉच टावर जैसे कामों पर 2.7 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जो CAMPA नियमों के विरुद्ध थे।

– 13.9 करोड़ रुपये राज्य योजनाओं (हरेला), अदालती मामलों, यात्राओं और इमारतों के जीर्णोद्धार पर लगाए गए।

– फंड का आवंटन वार्षिक योजना के अनुरूप नहीं था।- वनीकरण गतिविधियों में औसत 33.5% पौधों की उत्तरजीविता दर रही, जो 60-65% के मानक से काफी कम है। नैनीताल, पिथौरागढ़ और रुद्रप्रयाग में यह दर और भी खराब थी। – CAMPA निधि के लिए निर्धारित लेखा प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। ब्याज देयताओं का निपटान और फंड की निगरानी में गंभीर चूकें पाई गईं।

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