“सरकोट का कायाकल्प: उत्तराखंड का आदर्श ग्राम, आत्मनिर्भरता की नई मिसाल”

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गैरसैंण (चमोली)। उत्तराखंड के चमोली जिले के गैरसैंण ब्लॉक में स्थित सरकोट गांव ग्रामीण परिवर्तन का एक चमकता उदाहरण बन गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत सरकोट को गोद लिए जाने के बाद इस गांव में विकास की नई इबारत लिखी जा रही है। इस योजना का उद्देश्य दूरस्थ गांवों को आत्मनिर्भर, टिकाऊ और आधुनिक ग्रामीण बस्तियों में बदलना है, जो सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से सशक्त हों। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आदर्श ग्राम’ के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

समन्वित प्रयासों से बदली तस्वीर
चमोली जिला प्रशासन ने सरकोट को मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करने की औपचारिक शुरुआत की। जिला मजिस्ट्रेट संदीप तिवारी ने सुनिश्चित किया कि कृषि, बागवानी, स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे जैसे सभी विभाग समन्वित रूप से कार्य करें। गांव में सड़क, स्वच्छ पेयजल, बिजली, वाई-फाई, और स्वास्थ्य सुविधाओं जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। इसके अलावा, स्थानीय उत्पादों के विपणन और पशुपालन को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया गया है।

महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण पर जोर
सरकोट में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण और स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए गए हैं, जिससे वे ‘लखपति दीदी’ बनने की दिशा में अग्रसर हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए सौर ऊर्जा और वर्षा जल संचयन जैसी पहल शुरू की गई हैं। स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक हस्तशिल्प और पर्यटन को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।

राष्ट्रीय स्तर पर प्रेरणा
सरकोट का विकास एक बार की सफलता नहीं है, बल्कि यह उत्तराखंड और देश के अन्य गांवों के लिए एक अनुकरणीय मॉडल है। यह दर्शाता है कि सरकार की दूरदर्शिता, प्रशासनिक समन्वय और सामुदायिक भागीदारी से ग्रामीण विकास समावेशी, पर्यावरण अनुकूल और आर्थिक रूप से टिकाऊ हो सकता है। सरकोट की यह सफलता अन्य क्षेत्रों को भी प्रेरित कर रही है।मुख्यमंत्री धामी का दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “सरकोट का परिवर्तन उत्तराखंड के ग्रामीण विकास का एक नया अध्याय है। हमारा लक्ष्य हर जिले में ऐसे आदर्श ग्राम विकसित करना है, जो आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से उन्नत हों।” उन्होंने जोर देकर कहा कि स्थानीय जरूरतों के अनुरूप नीतियों और सामुदायिक सहभागिता से यह मॉडल पूरे देश में लागू किया जा सकता है।

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