नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पर्यावरण और ग्रामीणों की आजीविका को ध्यान में रखते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। कोर्ट ने खनन सचिव को निर्देश दिए हैं कि गांवों में स्टोन क्रशर स्थापित करने के बजाय आबादी से दूर स्टोन क्रशर के लिए अलग जोन बनाए जाएं।
वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने यह आदेश देहरादून के फतेह टांडा गांव के निवासियों की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया।खंडपीठ ने खनन सचिव को छह सप्ताह के भीतर स्टोन क्रशर जोन के लिए उपयुक्त स्थान चिह्नित कर शपथपत्र के माध्यम से कोर्ट को सूचित करने का आदेश दिया। साथ ही, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगले आदेश तक कोई नया स्टोन क्रशर स्थापित नहीं किया जाएगा।
याचिका में फतेह टांडा गांव के महेंद्र सिंह और अन्य ग्रामीणों ने बताया कि उनकी खेती की भूमि के पास बालाजी स्टोन क्रशर के संचालन से फसल उत्पादन प्रभावित हो रहा है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि क्रशर ने उनकी सिंचाई की गूल पर कब्जा कर लिया है और इससे भारी प्रदूषण फैल रहा है, जो ग्रामीणों के स्वास्थ्य और आजीविका के लिए खतरा बन रहा है।
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से स्टोन क्रशर का संचालन बंद करने की मांग की थी। कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की गाइडलाइंस और पूर्व में जारी हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए यह निर्णय लिया। कोर्ट ने कहा कि स्टोन क्रशरों को गांवों से दूर रखकर ही पर्यावरण और ग्रामीणों की आजीविका की रक्षा की जा सकती है।