नई दिल्ली: भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मोटापा, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों जैसी गैर-संचारी बीमारियों से निपटने के लिए एक पहल शुरू की है। मंत्रालय ने सभी केंद्रीय सरकारी संस्थानों, विभागों और स्वायत्त निकायों को निर्देश दिया है कि वे अपनी कैंटीन और सार्वजनिक स्थानों पर “तेल और शक्कर बोर्ड” लगाएं।
इन बोर्डों पर समोसा, जलेबी, लड्डू, वड़ा पाव जैसे लोकप्रिय स्नैक्स में मौजूद तेल, शक्कर और कैलोरी की मात्रा की जानकारी प्रदर्शित की जाएगी।
क्यों उठाया गया यह कदम?
भारत में मोटापा और इससे जुड़ी बीमारियों का बोझ तेजी से बढ़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में 18 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 77 मिलियन लोग टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित हैं, और 25 मिलियन प्री-डायबिटिक हैं। द लैंसेट जर्नल के अनुमान के अनुसार, 2050 तक भारत में लगभग 44.9 करोड़ लोग अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हो सकते हैं। तेल और शक्कर से भरपूर स्नैक्स, जैसे समोसा और जलेबी, इन बीमारियों के प्रमुख कारणों में से हैं।
क्या दिखेगा बोर्ड पर?
तेल बोर्ड: प्रतिदिन वयस्कों के लिए 27-30 ग्राम वसा की अनुशंसित मात्रा के साथ समोसा, कचौड़ी, वड़ा पाव जैसे स्नैक्स में मौजूद वसा की मात्रा दर्शाई जाएगी। उदाहरण के लिए, एक समोसे में ट्रांस फैट और उच्च कैलोरी हो सकती है, जो हृदय रोग और मोटापे का खतरा बढ़ाता है।
शक्कर बोर्ड: वयस्कों के लिए प्रतिदिन 25 ग्राम और बच्चों के लिए 20 ग्राम से कम शक्कर की सलाह दी गई है। बोर्ड पर जलेबी, गुलाब जामुन, चॉकलेट और शीतल पेय में शक्कर की मात्रा (जैसे, एक जलेबी में 5 चम्मच शक्कर) और चम्मच के चित्र के साथ जानकारी होगी।
कैलोरी: वड़ा पाव, पिज्जा, फ्रेंच फ्राइज़ जैसे स्नैक्स में कैलोरी की मात्रा भी प्रदर्शित होगी, ताकि लोग सचेत विकल्प चुन सकें।