नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे अवैध खनन के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और संबंधित विभागों से कड़े सवाल किए। कोर्ट ने पूछा कि हरिद्वार के सभी 121 स्टोन क्रशरों को गंगा नदी से 5 किलोमीटर की दूरी पर क्यों नहीं स्थानांतरित किया जा सकता और इसके लिए उपयुक्त स्थान क्यों नहीं तलाशा गया। मामले की अगली सुनवाई 18 जून को होगी।
मातृ सदन और अन्य याचिकाकर्ताओं ने जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया कि हरिद्वार के रायवाला से भोगपुर और कुम्भ मेला क्षेत्र में गंगा नदी में नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से अवैध खनन हो रहा है, जिससे नदी के अस्तित्व को खतरा है। याचिका में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) के बार-बार दिए गए खनन रोकने के आदेशों की अवहेलना का भी जिक्र किया गया।कोर्ट की टिप्पणी: न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान नाराजगी जताई कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) और कोर्ट के पूर्व आदेशों के बावजूद 48 स्टोन क्रशर, जिन्हें बंद करने का निर्देश था, बिना अनुमति दोबारा चालू कैसे हो गए। कोर्ट ने इसे गंभीर मामला बताते हुए स्टोन क्रशरों को नदी से 5 किलोमीटर दूर स्थानांतरित करने के लिए स्थान चिह्नित न करने पर सवाल उठाए।
14 फरवरी 2025 को कोर्ट के निर्देश पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने क्षेत्र का दौरा कर खनन गतिविधियों की रिपोर्ट सौंपी, जिसकी समीक्षा बुधवार को हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि स्टोन क्रशर नदी तल से 5 किलोमीटर के दायरे में पहले बंद किए गए थे।