कोरोना काल के बाद पहली बार देखी गई, जब सीजन के बीच में नैनीताल की सड़कें और झीलें इतनी सुनसान हुईं
नैनीताल। उत्तराखंड की सैरगाह और पर्यटन का गढ़, 30 अप्रैल को एक 12 वर्षीय नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटना के बाद भारी उथल-पुथल का गवाह बना।
इस जघन्य अपराध, जिसमें मुस्लिम समुदाय के एक 65 वर्षीय व्यक्ति को आरोपी बताया गया, ने शहर में आक्रोश की आग भड़का दी।
बुधवार रात हिंदू संगठनों और स्थानीय लोगों ने तल्लीताल कोतवाली का घेराव किया, दुकानों में तोड़फोड़ की, और सड़कों पर हिंसक प्रदर्शन किए, जिससे पर्यटकों में दहशत फैल गई। 1 मई 2025 को पूरे शहर में बंद का ऐलान हुआ, जिसके चलते मल्लीताल से तल्लीताल तक दुकानें, रेस्तरां, और रिक्शा सेवाएं ठप रहीं।
इस बवाल का पर्यटन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा। नैनीताल होटल एवं रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष दिग्विजय बिष्ट के अनुसार, मई के चरम सीजन में 90% होटल बुकिंग रद्द हो चुकी हैं। अधिकांश पर्यटक या तो वापस लौट गए या भीमताल जैसे वैकल्पिक स्थानों की ओर चले गए।
गुरुवार को नैनी झील में नावें नहीं चलीं, मॉल रोड सुनसान रहा, और केव गार्डन, चिड़ियाघर, व रोपवे जैसे प्रमुख पर्यटक स्थल वीरान पड़े रहे। रोपवे संचालक शिवम शर्मा ने बताया कि जहां रोजाना 800 पर्यटक आते थे, वहां गुरुवार को मात्र 125 लोग पहुंचे। पर्यटन व्यवसायी राजकुमार गुप्ता ने चेतावनी दी कि यदि तनाव कुछ दिन और रहा, तो पूरा सीजन बर्बाद हो जाएगा, जिसका इंतजार कारोबारी पूरे साल करते हैं।
यह स्थिति कोरोना काल के बाद पहली बार देखी गई, जब सीजन के बीच में नैनीताल की सड़कें और झीलें इतनी सुनसान हुईं। नैनीताल की अर्थव्यवस्था, जो मुख्य रूप से पर्यटन पर निर्भर है, को गहरा झटका लगा है। पर्यटकों के पलायन और बुकिंग रद्द होने से होटल मालिक, नाविक, रिक्शा चालक, और दुकानदारों की आजीविका संकट में है।