देहरादून: उत्तराखंड के हरिद्वार में 54 करोड़ रुपये के बहुचर्चित जमीन घोटाले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त रुख अपनाते हुए ऐतिहासिक कार्रवाई की है। हरिद्वार नगर निगम द्वारा सराय गांव में कूड़े के ढेर के पास 33-35 बीघा कृषि भूमि को 54 करोड़ रुपये में खरीदने के मामले में गंभीर अनियमितताएं सामने आने के बाद दो IAS अधिकारियों, एक PCS अधिकारी समेत कुल 12 लोगों को निलंबित कर दिया गया है। इस घोटाले की जांच अब विजिलेंस विभाग को सौंपी गई है, जो गहन जांच के साथ इस मामले की तह तक जाएगी।
घोटाले का खुलासा और जांच
हरिद्वार नगर निगम ने नवंबर 2024 में सराय गांव में कूड़ा निस्तारण केंद्र के पास 33-35 बीघा कृषि भूमि को 54-58 करोड़ रुपये में खरीदा था, जबकि इसकी वास्तविक कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये थी। जांच में पाया गया कि भूमि का लैंड यूज बदलकर कृषि से व्यावसायिक किया गया, जिससे सर्किल रेट 6,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर से बढ़कर 25,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर हो गया। यह प्रक्रिया महज छह दिनों में पूरी की गई, जो सामान्य रूप से लंबी होती है। इस अनियमितता में पारदर्शी बोली प्रक्रिया और नगर निगम अधिनियम का पालन नहीं किया गया, जिससे राज्य को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
मामला सामने आने के बाद हरिद्वार की मेयर किरण जैसल ने मुख्यमंत्री धामी से शिकायत की थी। सीएम के निर्देश पर IAS अधिकारी रणवीर सिंह चौहान ने मई 2025 में जांच शुरू की और 25 दिनों में अपनी 100 पृष्ठों की रिपोर्ट शहरी विकास सचिव नितेश झा को सौंपी। जांच में 24 लोगों के बयान दर्ज किए गए, जिसमें बड़े अधिकारियों की संलिप्तता और प्रशासनिक लापरवाही उजागर हुई।
निलंबित अधिकारी और कार्रवाई
जांच रिपोर्ट के आधार पर धामी सरकार ने तत्काल प्रभाव से निम्नलिखित अधिकारियों को निलंबित कर विभागीय जांच शुरू की है:
कर्मेंद्र सिंह (IAS), जिलाधिकारी, हरिद्वार: भूमि क्रय की स्वीकृति और अनुमति में संदिग्ध भूमिका।
वरुण चौधरी (IAS), तत्कालीन नगर आयुक्त, हरिद्वार: बिना उचित प्रक्रिया के प्रस्ताव पारित करने और वित्तीय अनियमितताओं में संलिप्तता।
अजयवीर सिंह (PCS), एसडीएम: भूमि निरीक्षण और सत्यापन में लापरवाही, जिससे गलत रिपोर्ट शासन को भेजी गई।
निकिता बिष्ट, वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार।
विक्की, वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक।
राजेश कुमार, रजिस्ट्रार कानूनगो।
कमलदास, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार।
रविंद्र कुमार दयाल, प्रभारी सहायक नगर आयुक्त (पहले सस्पेंड)।
आनंद सिंह मिश्रवाण, प्रभारी अधिशासी अभियंता (पहले सस्पेंड)।
लक्ष्मीकांत भट्ट, कर एवं राजस्व अधीक्षक (पहले सस्पेंड)।
दिनेश चंद्र कांडपाल, अवर अभियंता (पहले सस्पेंड)।
वेदवाल, संपत्ति लिपिक (सेवा विस्तार समाप्त, अनुशासनिक कार्रवाई शुरू)।
इसके अतिरिक्त, जमीन बेचने वाले किसान के खातों को फ्रीज करने के आदेश दिए गए हैं।
विजिलेंस जांच और धामी की जीरो टॉलरेंस नीति
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को स्पष्ट करते हुए कहा, “उत्तराखंड में भ्रष्टाचार को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” जांच अब विजिलेंस विभाग को सौंपी गई है, जो इस घोटाले की गहराई तक जाएगी।