2025 जनगणना में शामिल होगी जातिगत गणना, कैबिनेट ने दी मंजूरी

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दिल्ली ।केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 30 अप्रैल 2025 को एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए आगामी राष्ट्रीय जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने की घोषणा की। कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (CCPA) की बैठक में यह निर्णय लिया गया, जिसकी जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी।

उन्होंने कहा कि जातिगत गणना पारदर्शी तरीके से मूल जनगणना के साथ होगी, जो सामाजिक-आर्थिक संरचना को मजबूत करेगी और देश के विकास को बढ़ावा देगी।वैष्णव ने कांग्रेस और INDIA गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों ने हमेशा जातिगत जनगणना का विरोध किया। 2010 में तत्कालीन PM मनमोहन सिंह ने लोकसभा में इसे कैबिनेट में विचार करने का आश्वासन दिया था, लेकिन केवल गैर-पारदर्शी सर्वे ही किए गए, जिससे समाज में भ्रांतियां फैलीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि जनगणना केंद्र का विषय है (संविधान के अनुच्छेद 246, 7वीं अनुसूची, क्रम 69) और मोदी सरकार इसे बिना राजनीतिक हस्तक्षेप के लागू करेगी।

जनगणना का महत्व और बदलता चक्र: भारत में 1951 से हर 10 साल में जनगणना होती है, लेकिन 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण यह टल गई थी। सूत्रों के अनुसार, 2025 में शुरू होने वाली जनगणना के आंकड़े 2026 तक जारी होंगे, जिससे चक्र 2025-2035 और 2035-2045 में बदल जाएगा। जनगणना नीति निर्माण, संसाधन वितरण, और जनसांख्यिकी जानकारी के लिए महत्वपूर्ण है। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 121 करोड़ थी, साक्षरता दर 74.04%, और लिंगानुपात 940 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष था।

जातिगत जनगणना की मांग: विपक्षी दल, खासकर कांग्रेस, लंबे समय से OBC आबादी की गणना के लिए जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं। राहुल गांधी ने इसे सामाजिक न्याय का आधार बताते हुए 50% आरक्षण सीमा हटाने की वकालत की थी।

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